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international yoga day 2024-अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024: स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024: स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम


योग, जो प्राचीन भारतीय जीवनशैली का हिस्सा है, आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है। हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम योग के विभिन्न फायदों पर चर्चा करेंगे और कैसे इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।

1. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

नियमित योग करने से शरीर की लचीलापन, सहनशक्ति, और ताकत बढ़ती है। यह मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ-साथ शरीर के अंगों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह शरीर में रक्त संचार को भी बेहतर बनाता है।

2. मानसिक शांति

योग के विभिन्न आसन और ध्यान तकनीक मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होते हैं। यह एकाग्रता बढ़ाता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को सुधारता है। नियमित ध्यान करने से आप मानसिक संतुलन प्राप्त कर सकते हैं।

3. स्वस्थ जीवनशैली

योग केवल एक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है। यह हमें अनुशासित बनाता है और शरीर के साथ मन और आत्मा के संतुलन को बनाए रखता है। एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए योग का नियमित अभ्यास करना जरूरी है।

4. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

योग करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है और आंतरिक अंगों को बेहतर कार्यक्षमता प्रदान करता है। इससे शरीर आसानी से बीमारियों से लड़ सकता है।

5. वजन को नियंत्रित करता है

जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उनके लिए योग एक प्रभावी तरीका हो सकता है। योग न केवल कैलोरी बर्न करता है, बल्कि यह मेटाबॉलिज्म को भी तेज करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य योग को पूरी दुनिया में बढ़ावा देना और स्वस्थ जीवनशैली की ओर लोगों को प्रोत्साहित करना है। योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार पाएं।

टैग्स:

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Ardha Padmasana



अर्ध पद्मासन

परिचय

अर्ध पद्मासन, जिसे अंग्रेजी में हाफ लोटस पोज़ के नाम से जाना जाता है, एक योगासन है जो ध्यान और प्राणायाम के लिए उपयोग किया जाता है। यह आसन शरीर को स्थिरता प्रदान करता है और मन को शांति देता है।

अर्ध पद्मासन का अभ्यास

  1. सर्वप्रथम एक स्वच्छ और सपाट स्थान पर योगा मैट बिछाएं।
  2. अब आराम से अपने पैरों को सामने फैलाकर बैठ जाएं।
  3. दाएं पैर को उठाएं और उसे बाएं जांघ पर रखें।
  4. अब बाएं पैर को मोड़कर दाएं पैर के नीचे रखें।
  5. अपने हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।
  6. रीढ़ को सीधा रखें और आँखें बंद करके ध्यान लगाएं।
  7. कुछ मिनट तक इस स्थिति में रहें और धीरे-धीरे समय को बढ़ाएं।

लाभ

  • अर्ध पद्मासन शरीर और मन को शांति प्रदान करता है।
  • यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है।
  • यह आसन पाचन तंत्र को सुधारता है और रक्त संचार को बढ़ावा देता है।
  • यह रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने में मदद करता है और मुद्रा में सुधार करता है।

सावधानियाँ

अर्ध पद्मासन का अभ्यास करते समय कुछ सावधानियों का ध्यान रखना आवश्यक है:

  • यदि आपके घुटने या टखने में दर्द है, तो इस आसन का अभ्यास न करें।
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन को करने से बचें।
  • किसी भी आसन को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।

What is the real essence of yoga exercises?


योग अभ्यास का वास्तविक सार क्या है?


परिचय

योग एक प्राचीन विज्ञान है जो शरीर, मन और आत्मा के समग्र विकास को प्रोत्साहित करता है। यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि जीवन जीने की एक विधा है जो मानसिक और आत्मिक शांति का अनुभव कराती है।

योग का अर्थ

'योग' शब्द संस्कृत की 'युज' धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'जोड़ना'। योग का उद्देश्य व्यक्ति के भीतर शारीरिक, मानसिक और आत्मिक एकता स्थापित करना है।

योग के विभिन्न अंग

योग को अष्टांग योग के रूप में जाना जाता है, जिसमें आठ अंग होते हैं:

  • यम: नैतिक सिद्धांत
  • नियम: व्यक्तिगत अनुशासन
  • आसन: शारीरिक मुद्राएँ
  • प्राणायाम: श्वास नियंत्रण
  • प्रत्याहार: इंद्रिय नियंत्रण
  • धारणा: एकाग्रता
  • ध्यान: ध्यान केंद्रित करना
  • समाधि: आत्मा का परम स्थिति में मिलन

शारीरिक स्वास्थ्य में योग का महत्व

योग अभ्यास से शरीर में लचीलापन, शक्ति और संतुलन बढ़ता है। नियमित अभ्यास से रक्त संचार में सुधार होता है और हृदय रोगों का जोखिम कम होता है।

मानसिक स्वास्थ्य में योग का योगदान

योग तनाव को कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों पर नियंत्रण पा सकता है और चिंता और अवसाद से मुक्ति पा सकता है।

आत्मिक विकास

योग का अंतिम लक्ष्य आत्मा का जागरण है। यह व्यक्ति को अपने असली स्वरूप से परिचित कराता है और आत्मा की शांति और स्थिरता प्राप्त करने में मदद करता है।

निष्कर्ष

योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक समग्र जीवन पद्धति है जो व्यक्ति के जीवन को संतुलित और समृद्ध बनाती है। इसका वास्तविक सार आत्म-जागरण और शांति में निहित है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के माध्यम से प्राप्त होता है।

लेखक: अमित शर्मा 

तिथि: 

Which asana to do in which disease?

किस रोग में कौन सा आसन करें ?

स्वस्थ शरीर व मन प्रत्येक मनुष्य की चाहत होती है तथा यह चाहत विभिन्न योग आसनों की सहायता से पूरी भी होती है। आईए जानते हैं कौन सा आसन किस रोग से हमें मुक्ति दिला सकता है।

1. पेट की बीमारियों में-

उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, वज्रासन, योगमुद्रासन, भुजंगासन, मत्स्यासन।

2 . सिर की बीमारियों में-

सर्वांगासन, शीर्षासन्, चन्द्रासन।

3. मधुमेह के लिए-

पश्चिमोत्तानासन, नौकासन, वज्रासन, भुजंगासन, हलासन, शीर्षासन।

4. वीर्यदोष के लिए-

सवीगासन, वज्रासन, योगमुद्रा।

5. गला के लिए-

सुप्तवज्रासन, भुजंगासन, चन्द्रासन।

6. आंखों के लिए-

सर्वांगासन, शीर्षासन, भुजंगासन।

7. गठिया के लिए-

पवनमुक्तासन, पद्मासन, सुप्तव्रासन, मत्स्यासन, उष्ट्रासन, साइकिल संचालन, ताड़ासन किया करें।

8. नाभि के लिए-

धनुरासन, नाभि-आसन, भुजंगासन।

9. गर्भाशय के लिए-

उत्तानपादासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, ताड़ासन, चन्द्रानमस्कारासन।

10. कमर के लिए-

हलासन, चक्रासन, धनुरासन,भुजंगासन।

11. फेफड़े के लिए-

वज्रासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन।

12. यकृत के लिए-

लतासन, पवनमुक्तासन, यानासन।

13. गुदा, बवासीर, भंगदर आदि में-

उत्तानपादासन, सर्वांगासन, जानुशिरासन, यानासन, चन्द्रनमस्कारासन।

14. दमा के लिए-

सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, भुजंगासन।

15. अनिद्रा के लिए-

शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रासन।

16. गैस के लिए-

पवनमुक्तासन, जानुशिरासन, योगमुद्रा, वज्रासन।

17. जुकाम के लिए-

सर्वांगासन, हलासन, शीर्षासन।

18. मानसिक शांति के लिए-

सिद्धासन, योगासन, शतुरमुर्गासन, खगासन योगमुद्रासन।

19. रीढ़ की हड्डी के लिए-

सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, शतुरमुर्गासन करें।

20. गुर्दे की बीमारी में-

सर्वांगासन, हलासन, वज्रासन, पवनमुक्तासन करें।

21. गले के लिए-

सर्पासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रा करें।

22. हृदय रोग के लिए-

शवासन, साइकिल संचालन, सिद्धासन किया करें।

23. दमा के लिए-

सुप्तवज्रासन, सर्पासन, सर्वांगासन, पवन्तुक्तासन, उष्ट्रासन करें।

24. रक्तचाप के लिए- 

योगमुद्रासन, सिद्धासन, शवासन, शक्तिसंचालन क्रिया करें।

25. सिर दर्द के लिए-

सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, शतुरमुर्गासन करें।

26. पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए-

यानासन, नाभि आसन, सर्वांगासन, वज्रासन करें।

27. मधुमेह के लिए-

मत्स्यासन, सुप्तव्रासन, योगमुद्रासन, हलासन करें।

28. मोटापा घटाने के लिए-

पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, सर्पासन, नाभि आसन करें।

29. आंखों के लिए-

सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, चक्रासन करें।

30. बालों के लिए-

सर्वांगासन, सर्पासन, शतुरमुर्गासन, वज्रासन करें।

31. प्लीहा के लिए-

सर्वांगासन, हलासन, नाभि आसन, यानासन करें।

32. कमर के लिए-

सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, वज्रासन, योगमुद्रासन करें।

33. कद बड़ा करने के लिए-

ताड़ासन, शक्ति संचालन, धनुरासन, चक्रासन, नाभि आसन करें।

34. कानों के लिए-

सर्वांगासन, सर्पासन, धनुरासन, चक्रासन करें।

विशेष-

प्रत्येक आसन खुली हवा में सुन्दर और सुहावने स्थान पर नियमित किया करें।

Sirsasana Yogasanas

शीर्षासन: मस्तिष्क का अद्भुत आधार



शीर्षासन योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जिसमें शरीर को सिर के ऊपर रखकर किया जाता है। इस आसन को सिर्फ अभ्यास करने से ही पता चलता है कि यह योग का सर्वोच्च आसन है जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ शामिल होते हैं। यह आसन शरीर की संतुलितता, मस्तिष्क की स्थिरता, मन की शांति और आत्मसंयम को प्राप्त करने में सहायक होता है।

शीर्षासन करने की विधि:

  1. सबसे पहले एक योगमाट या चटाई पर बैठें। अपने घुटनों के बाल के साथ बैठें और अपने पैरों को आगे फैलाएं।
  2. अपने हाथों को योगमाट पर रखें और ध्यान दें कि आपके हाथ कंधों से सीधे हों। अपने हाथों की अंगुलियों को चटाई पर सुविधाजनकता के साथ फैलाएं।
  3. अब धीरे-धीरे अपने घुटनों को उठाएं और अपने पैरों को योगमाट पर रखें। अपने पैरों की उंगलियों को सीधे रखें और योगमाट पर सहायता से उच्चतम स्थान पर चढ़ें।
  4. अब अपने घुटनों को फिर से बाहर की ओर झुकाएं और अपने पैरों को योगमाट से हटाएं। आपका वजन अब सिर के ऊपर होना चाहिए। इसे सही स्थिति में स्थिरता और सुविधा के साथ बनाएं।
  5. आपकी नाभि को आंतरिक दिशा में खींचें और अपने हृदय के ऊपर ध्यान केंद्रित करें। ध्यान दें कि आपकी रीढ़ा सीधी और स्थिर हो और सांस धीरे-धीरे और नियमित हो।
  6. इस स्थिति में थोड़ी देर तक रहें और फिर धीरे-धीरे वापस लौटें। हाथों को सीधी उपरी जानवर की ओर ले जाएं, पैरों को सीधा करें और अपने शानदार शरीर को वापस सामान्य स्थिति में लाएं।

ध्यान रखें कि आप धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं और अपने शरीर को जटिल या कठिन स्थिति में नहीं डाल रहे हैं। स्थिरता, धैर्य और नियमित अभ्यास के साथ, आप पश्चिमोत्तानासन को सही तरीके से कर सकते हैं और इसके लाभों का आनंद उठा सकते हैं।

शीर्षासन के लाभ:

शीर्षासन योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जिसके कई लाभ होते हैं। यहां कुछ मुख्य शीर्षासन के लाभ हैं:

  1. मस्तिष्क स्वास्थ्य: शीर्षासन मस्तिष्क के लिए बहुत लाभकारी होता है। इस आसन के द्वारा शिरा में रक्त प्रवाह बढ़ता है और ताजगी और स्पष्टता का अनुभव होता है। यह मस्तिष्क को प्राकृतिक रूप से उत्थानित करता है और मेमोरी, बुद्धि और मनोयोग को बढ़ाता है।
  2. सिर के लक्ष्य: शीर्षासन करने से सिर के और नेत्रों के अंदर रक्त प्रवाह बढ़ता है। यह आंतरिक तरीके से सिर को ताजगी और प्राकृतिक चमक देता है।
  3. शारीरिक लाभ: शीर्षासन शरीर की मजबूती, संतुलन और कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इस आसन के द्वारा आपके हृदय की प्रवाह प्रणाली मजबूत होती है, पेट की चर्बी कम होती है, पाचन शक्ति सुधारती है और पेट, जांघों और पीठ की मांसपेशियों को ताना और सुडौल बनाता है।
  4. ध्यान और मनःशांति: शीर्षासन मन को शांति और स्थिरता की अवस्था में लेकर जाता है। यह मेंटल क्लैरिटी, ध्यान और आंतरिक शांति का अनुभव करने में मदद करता है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: शीर्षासन करने से श्वासनली की कार्यक्षमता बढ़ती है, जिससे श्वसन तंत्र स्वस्थ रहता है। यह हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाता है, रक्त प्रवाह को नियमित करता है और शरीर के अन्य अंगों के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।

इस प्रकार, शीर्षासन योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। यह आसन नियमित रूप से करने से स्वास्थ्य, चित्तशांति और अच्छे संतुलन की प्राप्ति होती है। यदि आप शीर्षासन करना शुरू करने का निर्णय लेते हैं, तो पहले एक योग गुरु की मार्गदर्शन लें और स्थानिक शर्तों का पालन करें।

Janu Sirsasana Yogasanas

जनुशीर्षासन: मानसिक और शारीरिक संतुलन को बढ़ाएं



जनुशीर्षासन, जो आधार नामक आसन के रूप में भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है। इस आसन को सिर और जांघों को मिलाकर किया जाता है और इसे धैर्य से और नियमित रूप से करने से शरीर, मन और आत्मा को विश्राम मिलता है। इस आसन को सही तरीके से करने से शरीर की मजबूती, संतुलन और लचीलापन बढ़ता है। यह आसन शरीर के बाहरी और आंतरिक मांसपेशियों को स्तिमुलेट करता है और शारीरिक और मानसिक स्थिरता को प्राप्त करने में सहायता करता है।

जनुशीर्षासन को निम्नलिखित विधि से करें:

  1. सबसे पहले एक योगमाट या चटाई पर बैठें। अपनी पैरों को आगे फैलाएं और सीधी रखें।
  2. जोड़ कर पैरों को कसकर सीधा रखें। यदि आपके लिए यह असाध्य होता है, तो पैरों के बीच की दूरी को कम करें।
  3. अपने हाथों को आपस में जोड़ें और उन्हें अपनी सीधी पैरों की ओर ले जाएं। जहां आपकी संभावितता हो, वहीं तक हाथों को जाएं जहां आप आराम से पहुंच सकें।
  4. अपने उपरी शरीर को समथित रखें। अपनी सीधी पैरों की ओर झुकें और अपने आपको सुखद महसूस करें। यदि आपके पीठ में किसी प्रकार की दर्द हो या आपको खींचाव आ रहा हो, तो आसन को कम करें या उत्तेजक दबाव को छोड़ें।
  5. सांस छोड़ें और ध्यान लगाएं। ध्यान दें कि आप शांत और सामथित रहें और अपने शरीर को धीरे-धीरे अगले स्तर पर ले जाएं। गहरी सांस लें और इस स्थिति में 20-30 सेकंड तक बने रहें।
  6. संग्रह छोड़ें और धीरे-धीरे वापस आएं। हाथों को सीधी उपरी जानवर की ओर ले जाएं, पैरों को सीधा करें और अपने शानदार शरीर को वापस सामान्य स्थिति में लाएं।

ध्यान रखें कि आप धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं और अपने शरीर को जटिल या कठिन स्थिति में नहीं डाल रहे हैं। स्थिरता, धैर्य और नियमित अभ्यास के साथ, आप जनुशीर्षासन को सही तरीके से कर सकते हैं और इसके लाभों का आनंद उठा सकते हैं।

जनुशीर्षासन के लाभ:

  1. मांसपेशियों की मजबूती: जनुशीर्षासन आपके पीठ, पैरों, जांघों, बाहों और कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इस आसन को नियमित रूप से करने से इन प्रमुख मांसपेशियों का विकास होता है और शरीर की शक्ति और संचालन में सुधार होता है।
  2. पेट की मांसपेशियों का विकास: जनुशीर्षासन आपके पेट की मांसपेशियों को बढ़ावा देता है और इसे मजबूत बनाता है। यह आसन पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है और पेट के आसपास संकुचन को दूर करने से पेट की दुरुस्ती बढ़ाता है।
  3. संतुलित मनोवृत्ति: जनुशीर्षासन शरीर के विभिन्न हिस्सों की मांसपेशियों को एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे मन की स्थिरता बढ़ती है। यह आसन ध्यान को शांति प्रदान करता है, मन को स्थिरता और स्वस्थ महसूस करने में मदद करता है।
  4. पाचन तंत्र को सुधारें: जनुशीर्षासन पेट के अंदरी अंगों को मसाज करके पाचन तंत्र को सुधारता है। इस आसन को करने से आपके पेट के अंदरी अंगों का आंदोलन बढ़ता है और खाने को पचाने में मदद मिलती है।
  5. मानसिक शांति: जनुशीर्षासन करने से मन की शांति और सुख महसूस होता है। इस आसन को करने से मस्तिष्क की गतिविधि स्थिर होती है और मानसिक तनाव और चिंता कम होती है।

इस प्रकार, जनुशीर्षासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर, मन और आत्मा को विश्राम मिलता है और यह स्वास्थ्य और सुख को संतुलित रखने में मदद करता है। इस आसन को धैर्य से करें और अपने शरीर की सीमाओं का ध्यान रखें। अगर आप किसी बीमारी या चिकित्सा स्थिति से पीड़ित हैं, तो कृपया एक योग गुरु की सलाह लें और सही तरीके से इस आसन का अभ्यास करें।