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भुजंगासन: शक्ति और संतुलन का प्रतीक



योग एक प्राचीन भारतीय प्रथा है जो स्वास्थ्य, शांति और संतुलन को प्राप्त करने का एक मार्ग प्रदान करती है। इसके विभिन्न आसनों ने विश्व भर में लोगों को आकर्षित किया है और भुजंगासन उनमें से एक है। यह आसन सर्प के ढ़ाल और फैले हुए होंठों की अनुकरण बनाता है, जिसका अर्थ है "सर्पाकार आसन"। यह आसन शरीर के ऊतकों को मजबूत करने और संतुलित करने में सहायता करता है।

भुजंगासन करने की विधि:

  1. सबसे पहले एक योगमाट या चटाई पर पेट के बल लेट जाएं।
  2. अपने हाथों को शरीर के सिरे के पास रखें, उंगलियों को आगे देखें।
  3. सांस छोड़ते हुए, धीरे से अपने शरीर को ऊपर उठाएं, मुड़े हुए होंठों के समानता बनाएं।
  4. कोशिश करें कि आपके हाथों का भार आपके शरीर के ऊपर संतुलित रहे।
  5. कुछ समय तक इस स्थिति में बने रहें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  6. फिर से धीरे-धीरे श्वास लेते हुए शरीर को धीरे-धीरे माट पर ले आएं।

भुजंगासन करने से पीठ, कंधे, हाथों, पैरों और पेट की मांसपेशियों को खींचा जाता है और उन्हें मजबूत बनाता है। इसके अलावा, यह पीठ के कसरती हुई हिस्से को विकसित करता है और संतुलन और स्थिरता को सुधारता है। यह आसन पेट, अग्नाशय, रक्तनली, श्वासनली और अवसाद को भी आराम प्रदान करता है।

यदि आप नए हैं और भुजंगासन को करना सीख रहे हैं, तो आपको ध्यान देने की आवश्यकता है कि आप इसे सही तरीके से करें और अपने शरीर की सीमाओं के अनुरूप कार्रवाई करें। धीरे-धीरे शुरू करें और श्वास लेते समय सावधानी बरतें। यदि आपको किसी भी प्रकार की तकलीफ होती है, तो तुरंत अपने योग गाइड से संपर्क करें।

इस आसन को नियमित रूप से करने से आपको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तौर पर स्वस्थता और संतुलन मिलेगा। इसे दिनचर्या में शामिल करके आप अपने जीवन को स्वस्थ और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं। ध्यान और नियमितता के साथ भुजंगासन का अभ्यास करें और इसके लाभों का आनंद उठाएं।

ध्यान रखें, योग करते समय सदैव अपने शरीर की सीमाओं को समझें और किसी भी प्रकार की तकलीफ या अस्वस्थता महसूस होने पर तुरंत योग गाइड की सलाह लें। नियमित अभ्यास के साथ, आप वास्तविक और संगठित परिणाम प्राप्त करेंगे और योग के आनंद का अनुभव करेंगे। अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें और नियमित रूप से योग का अभ्यास करके एक स्वस्थ और सुखी जीवन का आनंद लें।

 

भुजंगासन के लाभ:

  1. पीठ को मजबूत बनाता है:

    भुजंगासन पीठ की मांसपेशियों को खींचता है और इन्हें मजबूत बनाने में मदद करता है। इससे पीठ की कसरती हुई हिस्से का विकास होता है और संरचित रूप से स्थायी धारणा को सुनिश्चित करता है।

  2. कंधों को खोलता है:

    यह आसन कंधों को खोलकर संतुलित करता है और सुन्दरता और गरिमा को बढ़ाता है। यह कंधों की अकड़न और तनाव को कम करने में मदद करता है और उन्हें आरामपूर्वक खींचता है।

  3. पाचन तंत्र को सुधारता है:

    भुजंगासन पेट, अग्नाशय, रक्तनाली और अन्तःश्वासनाली को सक्रिय करके पाचन तंत्र को सुधारता है। इससे आपका पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और पेट संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

  4. साधना और ध्यान को बढ़ाता है:

    यह आसन मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है और ध्यान को बढ़ाता है। इसके द्वारा आप अपने शरीर और मस्तिष्क के बीच संवेदनशीलता को स्थापित कर सकते हैं और मन को शांत, स्थिर और समर्पित बनाए रख सकते हैं।

  5. स्वास्थ्य और विकास को प्रोत्साहित करता है:

    भुजंगासन के नियमित अभ्यास से शरीर की लचीलापन बढ़ती है और स्वास्थ्य और विकास को प्रोत्साहित किया जाता है। यह स्पष्ट मानसिक और शारीरिक लाभ प्रदान करता है और आपको स्थिर, सुगठित और सकारात्मक बनाने में मदद करता है।

याद रखें, भुजंगासन को सही ढंग से करने के लिए एक प्रशिक्षित योग गाइड की सलाह लें और अपने शरीर की सीमाओं को समझें। ध्यान और नियमितता के साथ इस आसन का अभ्यास करें और उसके लाभों का आनंद उठाए।

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