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Amit Sharma

नाटराजासन: गतिशीलता और सौंदर्य का प्रतीक

Natarajasana Yogasanas

नाटराजासन योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। यह आसन भगवान शिव के नाटराज रूप को दर्शाने के लिए प्रस्तुत किया जाता है, जिसे नाटराजासन के नाम से जाना जाता है। इस आसन को करने से शरीर, मन और आत्मा का संयोग होता है और व्यक्ति आंतरिक शांति और स्थिरता प्राप्त करता है।

नाटराजासन कैसे करें:

  1. धीरे-धीरे खड़े हो जाएँ और आपके पैर हैंडस्टैंड की लंबाई के बराबर हों।
  2. अपने दाहिने पैर को घुटने के पीछे स्थानांतरित करें और उठाएं। अपने दाहिने हाथ को सीधा रखें और आपकी उंगलियाँ आकृति को छूने की कोशिश करें।
  3. अब अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाएं और आपके दाहिने पैर के पंजे को पीछे की ओर उठाएं। आपके ऊँगलीयों को आकृति के साथ संपर्क करने की कोशिश करें।
  4. यह स्थिति कुछ समय तक बनाए रखें और ध्यान रखें कि आप स्थिरता और संतुलन के साथ रहें।
  5. धीरे-धीरे सांस छोड़ें और आराम से शर्त बदलें।

नाटराजासन के लाभ:

  1. शारीरिक लाभ:

    नाटराजासन शारीरिक लाभों को प्रदान करता है। यह पूरे शरीर की मांसपेशियों को निःशुल्क करता है और इसे मजबूत बनाता है। इससे कंधों, हाथों, पैरों, पीठ और पेट की मांसपेशियों को ताकत मिलती है। साथ ही, यह पूरे शरीर के उपायुक्त विकास को बढ़ावा देता है।

  2. मानसिक लाभ:

    नाटराजासन ध्यान, मन की शांति और आंतरिक स्थिरता को बढ़ाता है। इसका नियमित अभ्यास करने से मन की चंचलता कम होती है और अविराम स्थिति में मन की शांति प्राप्त होती है।

  3. आध्यात्मिक लाभ:

    नाटराजासन आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है और व्यक्ति को अपनी आंतरिक सत्यता के साथ जोड़ता है। इस आसन को करने से आत्म-विश्वास, आत्म-संयम और अंतरंग शक्ति में वृद्धि होती है।

  4. योग करते समय सुरक्षा का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आपने पहले कभी योग नहीं किया है या किसी चिकित्सा स्थिति में हैं, तो इसे करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप योग को नियमित रूप से और सही ढंग से करें, धीरे-धीरे शुरू करें और शरीर की सीमाओं का ध्यान रखें। ध्यान और समर्पण के साथ नाटराजासन को अपने जीवन में शामिल करें और इसके लाभों का आनंद लें।

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